जे.एम.डी टाम आपरेटरों से दिल्ली मेट्रो कामगार यूनियन की अपील
अगली बारी आपकी तो नहीं?
जेएमडी टाम आपरेटर साथियो,जनवरी 2012 में टाम आपरेटरों की पद पर नियुक्ति के समय शायद आपने खुद को खुशनसीब समझा होगा कि आपको प्रतिष्ठित दिल्ली मेट्रो रेल में नौकरी मिली है। लेकिन छह महीने में आप समझ गये होंगे कि दिल्ली मेट्रो रेल में ठेका कम्पनियों के तहत काम करने वाले कर्मचारियों की स्थिति अधर में लटके त्रिशंकु के समान है, जो न ज़मीन पर गिरता है न आसमान में जाता है। उनके सिर पर हमेशा छँटनी की तलवार लटकी रहती है। और अब वह तलवार गिरने जा रही है जबकि आपको निकाला जा रहा है। जब तक नौकरी है तब तक कम्पनी की बंधुआ गुलामी करो, और कम्पनी जब चाहे नौकरी से निकालकर बाहर कर दे! आपसे भी नियुक्ति के समय ही बर्खास्तगी पत्र पर हस्ताक्षर करा लिया गया था ताकि कम्पनी आपको बिना किसी दिक्कत के नौकरी से बाहर कर सके। नियुक्ति के समय आपसे 25,000 रुपये सिक्योरिटी राशि के नाम पर लिये जाते हैं जो कि अपने आप में एक भ्रष्टाचार और ग़ैर-कानूनी हरक़त है। लेकिन मेहनतकशों के खि़लाफ़ जाने वाला भ्रष्टाचार अण्णा हज़ारे और रामदेव जैसे लोगों को नज़र नहीं आता है! इस ”सिक्योरिटी राशि“ के बाद भी आपको अस्थायी कर्मचारी के तौर पर रखा जाता है और मामूली-सी इंसानी ग़लती पर भी आपको बाहर का रास्ता दिखलाया जाता है। काम के दौरान न तो आपको न्यूनतम मज़दूरी दी जाती है और न ही पी.एफ., ई.एस.आई. आदि की सुविधा। ठेका कम्पनी के ये सारे कारनामे वास्तव में श्रम कानूनों को घोर उल्लंघन है। दिल्ली मेट्रो रेल में श्रम कानूनों के पालन की जिम्मेदारी प्रधान नियोक्ता के तौर पर दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन की बनती है। कहने के लिए डी.एम.आर.सी. ने एक श्रम कल्याण विभाग बना रखा है, लेकिन वह मज़दूरों-कर्मचारियों की समस्याएँ कभी सुनता ही नहीं है। और यह मानना नादानी होगी कि डी.एम.आर.सी. को ठेका कम्पनियों द्वारा श्रम कानूनों के उल्लंघन के बारे में पता नहीं। साफ़ है कि श्रम कानूनों को लागू करने का डी.एम.आर.सी. का ही इरादा नहीं है। इसीलिए तो उसने टाम आपरेटरों की भर्ती सीधे अपने तहत करने की बजाय ठेका कम्पनियों द्वारा करवायी है, जबकि भारत सरकार के श्रम मन्त्रालय ने साफ़ तौर पर कहा है कि स्थायी किस्म के काम में ठेका मज़दूरों को नहीं लगाया जाना चाहिए।
ऐसे में दिल्ली मेट्रो कामगार यूनियन सभी टाम आपरेटरों से अपील करती है कि अपने ऊपर हो रहे अन्याय व शोषण के खिलाफ आवाज उठाएँ! आज जेएमडी कम्पनी मनमाने तरीके से आपके साथियों को काम से निकाल रही है, कल शायद आपकी भी बारी हो। इसलिए यह वक्त चुपचाप अन्याय सहने का नहीं बल्कि यूनियन और अपने साथियों के साथ कन्धे से कन्धे मिलकर लड़ने का है।
इस दुनिया की यही है रीत! संघर्ष करोंगें मिलेगी जीत!!
डीएमकेयू जिन्दाबाद -मेट्रो के मजदूरों एक हो।

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