नई
दिल्ली, 30 मई। दिल्ली मेट्रो रेल कारर्पोरेशन व ठेका कम्पनियों द्वारा
श्रम क़ानूनों के गम्भीर उल्लंघन के खिलाफ दिल्ली मेट्रो रेल कामगार यूनियन
के बैनर तले सैंकड़ों मेट्रो कर्मियों ने जन्तर-मन्तर पर प्रदर्शन किया और
डी.एम.आर.सी. प्रशासन का पुतला भी फूंका। मेट्रो प्रशासन और अनुबन्ध्ति
ठेका कम्पनियों की मिलीभगत के कारण ही यहाँ श्रम-क़ानूनों का पालन नहीं
किया जाता जिसके चलते मेट्रो कर्मियों के हालात बदतर हो रहे है। मेट्रो
प्रबंध्न अगले महीने की पहली तारीख को कानूनों को ताक पर रखते हुए 250
मेट्रो मजदूरों को काम से निकाल रहा है। दिल्ली मेट्रो रेल प्रबंध्न की इस
कार्रवाई का विरोध करते हुए दिल्ली मेट्रो रेल कामगार यूनियन की अगुवाई में
मेट्रो मजदूरों ने डी.एम.आर.सी. प्रशासन का पूतला फूंकने के बाद एक ज्ञापन
केन्द्रीय श्रम-मंत्री, क्षेत्रिय श्रमायुक्त व मेट्रो प्रबन्ध्क मंगू
सिंह को सौंपा। मेट्रो को दिल्ली की शान कहा जाता है और यह सच भी है कि मेट्रो दिल्ली
वासियों के लिए एक सुविधजनक परिवहन है। लेकिन इस मेट्रो में हाड़-तोड़
मेहनत करने वाले मजदूरों के लिए स्वयं मेट्रो प्रबंध्न का रवैया असुविधाजनक
रहता है। मेट्रो के सपफाई कर्मचारी हों, गार्ड, या टाम आपरेटर हों, सभी के कानूनी हकों का नंगा उल्लंघन होता है। मेट्रो रेल में टोकन देने काम कराने वाली ट्रिग कम्पनी का ठेका 1 जून,
2013 को डी.एम.आर.सी से समाप्त हो रहा है। ऐसे में आर.के. आश्रम से द्वारका
मेट्रो स्टेशन तक टोकन देने का काम करने वाले 250 टाम आपरेटर को भी मेट्रो
रेल प्रबंध्न काम से निकाल रहा है। जबकि मुख्य नियोक्ता होने के कारण
डी.एम.आर.सी को इन मेट्रो कर्मचारियों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। दिल्ली
मेट्रो रेल में सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन, ई.एस.आई., पी.एफ. आदि
श्रम-कानूनों को भी लागू नहीं किया जा रहा है।
मेट्रो प्रबंध्क और अन्य मंत्रियों को सौंपे गये ज्ञापन में रखी गई प्रमुख मांगे है-
1. ठेका कम्पनी ट्रिग द्वारा निकाले गये सभी मजदूरों को काम पर वापस लिया जाये।
2. ठेका कम्पनी के टेण्डर समाप्त होने पर भी कार्यरत कर्मचारियों को बहाल किया जाये।
3. ठेका
कानून (नियमिकरण और उन्मूलनद्) 1970 को लागू कर कर्मचारियों की स्थायी
नियमित सुनिश्चित की जाये और सभी श्रम कानून को सख्ती से लागू किया जाये।
मेट्रो मजदूर लम्बे समय से डीएमआरसी और ठेका कंपनियों की मिलीभगत के खिलाफ
संघर्ष चला रहे हैं। इस संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए क़ानून का सहारा लेते
हुए डीएमआरकेयू सभी मेट्रो मजदूरों की ओर से एक जनहित याचिका दायर कर रहा
है जिसके तहत स्थाई प्रकृति के काम में ठेका मज़दूरों को रखना क़ानूनन गलत
होगा। इस प्रदर्शन में दिशा छात्र संगठन की और से नुक्कड़ नाटक मशीन
का मंचन किया गया। मजदूरों की ज़िन्दगी को हाल बयां करने और उसे बदलने के
रास्ते को बताने वाला नाटक मेट्रो मजदूरों की ज़िन्दगी की भी कहानी बयां
करता है। कई जन संगठन, यूनियन और मजदूर कार्यकर्ता भी इस प्रदर्शन में शामिल थे। प्रदर्शन के
दौरान दिशा छात्र संगठन के सनी, नौजवान भारत सभा के योगेश और करावल नगर
मजदूर यूनियन के नवीन ने भी बात रखी।
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