नयी
दिल्ली,
28 मई।
दिल्ली मेट्रो
भवन
पर
लागू धारा
144
को
तोड़
मेट्रो मजदूरों
ने
अपने
हक़
के
लिए
विरोध प्रदर्शन
किया।
यह
प्रदर्शन
दिल्ली
मेट्रो
रेल
कामगार
यूनियन
की
अगुवाई
में दिल्ली
मेट्रो
रेल
प्रबंधन द्वारा
अकारण
से
1
जून
से
250
मजदूरों
को
बर्खास्त
किये
जाने
के
विरोध
में
किया
गया।
मजदूरों
ने
अपनी
मांगो
का
मेट्रो
प्रबंधक
को
देने
की
कोशिश
की
लेकिन
मेट्रो
अधिकारियों
ने
ज्ञापन
लेने
से
इनकार
कर
दिया।
हालाँकि
मजदूरों
ने
अपना
ज्ञापन
रजिस्ट्री
डाक
द्वारा
मेट्रो
प्रबंधक
मंगू
सिंह
को
सौंपा।
मजदूरों
ने
अपनी
बात
व्यापक
आबादी
तक पहुंचाई।
इस
विरोध
प्रदर्शन
को
और
अधिक
व्यापक
और
जुझारू बनाने के
लिए मेट्रो
प्रबंधन को अपनी बात के लिए मजदूर आने वाली 30 मई को जंतर मंतर पर बड़ा प्रदर्शन करेंगे।
दिल्ली
मेट्रो
रेल
कामगार
यूनियन
से
सचिव
अजय
ने
बताया
की
मेट्रो
रेल
में
टोकन
देने
का
काम
करने
वाली
ट्रिग
कंपनी
का
ठेका
1
जून,
2013 को
डी
एम
आर सी
को ख़त्म हो रहा है। ऐसे में आर. के. आश्रम से द्वारका स्टेशन तक टोकन देने का काम करने वाले 250 टॉम ओपेरटर को भी मैट्रो रेल प्रबंधन काम से निकाल रहा है। जबकि मुख्या नियोक्ता होने के कारन डीएमआरसी को इन मेट्रो कर्मचारियों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अजय ने बताया कि
दिल्ली मेट्रो रेल में सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन , ई एस आई, पी एफ,
आदि श्रम कानूनों को भी लागू नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मेट्रो
मजदूर अपना ज्ञापन मंगू सिंह को देना चाहते थे पर दिल्ली मेट्रो प्रबंधन
अधिकारियों ने इसे लेने से मन कर दिया जिस कारन हम आने वाली 30 तारीख को जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर श्रम मंत्रालय और मेट्रो प्रबंधन को अपना ज्ञापन सौंपेंगे। इस ज्ञापन में राखी गयी प्रमुख मांगे है- ठेका कंपनी ट्रिग द्वारा निकाले गए सभी मजदूरों को काम पर वापस लिया जाए, ठेका कंपनी के टेंडर समाप्त होने पर भी कार्यरत कर्मचारियों को बहाल किया जाए, ठेका क़ानून (नियमिकरण और उन्मूलन) 1970 को लागू कर कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति सुनिश्चित की जाए और सभी श्रम क़ानूनों को सख्ती से लागू किया जाए।
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