Monday, 3 June 2013

दिल्ली के इंसाफ़पसन्द नागरिकों के नाम दिल्ली मेट्रो रेल मज़दूरों की अपील
Metro Rail Mazdoor Union,दिल्ली मेट्रो रेल मज़दूर

साथियो,
आप सभी जानते और मानते हैं कि दिल्ली मेट्रो रेल दिल्ली की शान है और ठीक ही मानते हैं। दिल्ली मेट्रो रेल ने दिल्ली में सफर करने के तौर-तरीके को बदल डाला है। यह एक तेज़, सुरक्षित और सुविधाजनक परिवहन माध्यम है। दिल्ली मेट्रो रेल के निर्माण से लेकर उसके रख-रखाव और प्रचालन (ऑपरेशन) तक के कामों में आज हज़ारों मज़दूर लगे हुये हैं। इनमें से अधिकांश (70 प्रतिशत से भी ज़्यादा) ठेके पर काम करते हैं। केवल टॉम आपेरटर(टोकन वेण्डर), हाउसकीपिंग से लेकर सिक्योरिटी में करीब 5000 से अधिक कर्मचारी लगे हुये हैं।
लेकिन क्या आपको पता है कि इस पूरी ठेका मज़दूर आबादी से किन हालात में काम करवाया जाता है? क्या आप जानते हैं कि जो युवक या युवती यात्रियों की लम्बी-लम्बी लाइनों को यात्रा करने के लिये टोकन देने में दिन भर लगे रहते हैं, उनके सिर पर हमेशा छँटनी की तलवार लटकी रहती, वहीं तमाम श्रम कानून के तहत मिलने वाली सुविध ई.एस.आई., पी.एफ और डबल रेट ओवरटाइम तक नहीं दिया जाता है? क्या आप जानते हैं कि जिन सफाई कर्मचारियों की हाड़तोड़ मेहनत के कारण मेट्रो रेल के स्टेशन दमदमाते रहते हैं, उन्हें साप्ताहिक छुट्टी, न्यूनतम मज़दूरी, डबल रेट ओवरटाइम, ई.एस.आई.-पी.एफ आदि तक नहीं दिया जाता? क्या आप जानते हैं कि इन मज़दूरों को काम पर रखने से पहले बेदी एंड बेदी, ट्रिग, केशव, ए टू जेड, प्रहरी, जेएमडी आदि जैसी कुख्यात ठेका कम्पनियाँ सिक्योरिटी राशि के नाम पर 25 हज़ार रुपये तक लेती हैं, ताकि ये मज़दूर अपने शोषण और कम्पनियों की तानाशाही के खि़लाफ कुछ न बोल सकें? क्या आपको मालूम है कि इतनी रकम ऐंठने के बाद भी ज़्यादातर मामलों में इन मज़दूरों को साल भर के भीतर ही नाजायज़ तरीके से काम से निकाल दिया जाता है ताकि उन्हें स्थायी मज़दूर की मान्यता न देनी पड़े? क्या आपको पता है कि कानूनन दिल्ली मेट्रो रेल कारपोरेशन सफाई, टिकट-वेण्डिंग व सिक्योरिटी के कामों में ठेका मज़दूर नहीं रख सकता, क्योंकि ये सभी स्थायी प्रकृति के काम हैं? मेट्रो मज़दूर श्रम कानूनों के उल्लंघन, गुलामों जैसी स्थितियों में काम करवाये जाने, सिक्योरिटी राशि के नाम पर घूसखोरी, मनचाहे तरीके से हायर-फायर किये जाने के खि़लाफ पिछले कुछ वर्षों से संघर्ष कर रहे हैं।
हम जानते हैं कि आप भी एक इंसाफपसन्द नागरिक के तौर पर इस बात को मानेंगे कि मज़दूरों को यदि न्यूनतम मज़दूरी और साप्ताहिक छुट्टी भी नहीं मिलेगी और उनके साथ गुलामों-सा बर्ताव किया जायेगा तो इसका सीधा असर सेवाओं पर पड़ेगा। एक जिम्मेदार नागरिक के रूप में आप यह भी मानते होंगे कि डी.एम.आर.सी. को इस देश के संविधान और कानूनों की खुलेआम धज्जियाँ उड़ाने का कोई अधिकार नहीं है। हम इन कानूनी और संविधान-प्रदत्त अधिकारों से ज़्यादा कुछ नहीं माँग रहे हैं। हमारा संघर्ष सिर्फ यह है कि सरकार और उसके उपक्रम जो वायदा करते हैं, वह उन्हें पूरा करना चाहिये।
आज भी डी.एम.आर.सी. के पास ठेका कम्पनियों के तहत काम कर रहे सभी कर्मचारियों का कोई प्रत्यक्ष रिकॉर्ड तक नहीं है। एक सूचना अधिकार याचिका के जवाब में डी.एम.आर.सी. ने इसे माना है। इसी से साफ हो जाता है कि वह श्रम कानूनों के लागू किये जाने को सुनिश्चित नहीं करती है। इसके लिये जिन ठेका कम्पनियों को श्रम कानूनों को लागू करना है, उन्हीं से लिखित में यह कहलवा दिया जाता है कि वे सभी श्रम कानूनों को लागू करती हैं! आप खुद देख सकते हैं कि यह कैसा भद्दा मज़ाक है! वेतन दिये जाते समय डी.एम.आर.सी. का कोई अधिकारी मौजूद नहीं होता है, जो कि सीधे-सीधे कानून का उल्लंघन है। कुल मिलाकर, दिल्ली मेट्रो रेल की ऊपरी चमक-दमक के नीचे भ्रष्टाचार,कानूनों के उल्लंघन, ठेकाकरण, निजी ठेका कम्पनियों की तानाशाही, मज़दूरों के दुख-तकलीफ की एक काली दुनिया है। हम इसी स्थिति को बदलना चाहते हैं।साथियो! हम आप सबसे अपील करते हैं कि हमारे संघर्ष का समर्थन कीजिये। हम ज्यादा नहीं सिर्फ कानून-प्रदत्त अधिकार माँग रहे हैं। हमारी माँग है कि दिल्ली मेट्रो को सच्चे मायने में एक विश्व-स्तरीय संस्था केवल तब बनाया जा सकता है जब भ्रष्टाचार, स्वेच्छाचार, और तमाम किस्म के गोरखधन्धों का मेट्रो रेल से सफाया हो जाय, जो कि ठेका कम्पनियों और डी.एम.आर.सी. की मिलीभगत से चल रही है। हम आपसे मेट्रो मज़दूरों द्वारा 30 मई को जन्तर-मन्तर पर किये जा रहे विरोध-प्रदर्शन में आने की अपील करते हैं। आपकी मौजूदगी से हम संघर्षरत मज़दूरों का हौसला बुलन्द होगा और डी.एम.आर.सी. को हमारी बात सुनने और कानूनों का पालन करने को बाध्य होना पड़ेगा। कृपया हमारी हौसला-अफ़ज़ाई करें।


दिल्ली मेट्रो कामगार यूनियन
दिशा छात्र संगठन
मेट्रो मज़दूर अधिकार समर्थक नागरिक मोर्चा

Friday, 31 May 2013

Protest Demonstration by the contract workers of Metro, Effigy burning of Metro Management

New Delhi, 30 May. Hundreds of Delhi Metro Workers gathered at Jantar-Mantar today toprotest against the serious and open violation of labour laws by DMRC under the banner of Delhi Metro Rail Kamgar Union (DMRKU). Delhi Metro workers held a large demonstration against the unreasonable termination of 250 workers by the Metro Mangement which would be effective from 1 June. They also burned the effigy of Metro Management. DMRKU handed over a memorandum along with a charter-of-demands to the prime minister office, labour minister and metro chief Mangu Singh which had been signed by hundreds of workers. The secretary of Delhi Metro Rail Kaamgaar Union, Ajay said that the contract of the Trig company that does the work of giving Tokens at metro ends on 1 June 2013, after which DMRC should take the responsibility of these workers. Ajay also said that in Delhi Metro the minimum wage, E.S.I, P.F etc fixed by the Government has also not been implemented. The main demands enlisted in the memorandum handed over to prime minister and others are- the reinstatement of all the workers terminated by the contract comany Trig, Metro should reinstate the workers even after the tender of the company working on contract ends, the implementation of Labour Act ( regularization and abolishment) , 1970 ensuring the permanent appointment of workers and the strict implementation as well as adherence of the Labour Laws. Naveen, a worker at Metro and a member of DMRKU said that Delhi Metro which is considered the pride of the city and which serves as a lifeline to millions of Delhites for commuting, works so efficiently due to the hard work and toil of the workers who are paid the least attention to and provided with no respite by the Metro management. Shivani of Bigul Mazdoor Dasta said that to wage this struggle further DMRKU will file a PIL making it illegal to hire contract workers for jobs of permanent nature. She said further that all metro workers, guards, TOM operators and sweepers face gross abolition of labour laws. To fight effectively against this all workers must unite under the banner of DMRKU. Various Student-Youth organization as well as women and labour organizations extended their open support to the demands of DMRKU and Metro workers. Organisations like Disha Students Organisation, Naujawan Bharat Sabha, Stree Mukti League and Karawal Nagar Mazdoor Union etc. were present. Representatives from these organisations (Sunny from Disha Students Organisation, Yogesh from Naujawan Bharat Sabha, Babyfrom Stree Mukti League) too addressed the workers.
 Ajay Secretary DMRKU
           

Thursday, 30 May 2013

विडिओ- जंतर मंतर पर प्रदर्शन व डी.एम.आर.सी. प्रशासन का पुतला दहन!

मेट्रो के ठेका कर्मचारियों ने प्रदर्शन कर डी.एम.आर.सी. प्रशासन का पुतला फूंका!

नई दिल्ली, 30 मई। दिल्ली मेट्रो रेल कारर्पोरेशन व ठेका कम्पनियों  द्वारा श्रम क़ानूनों के गम्भीर उल्लंघन के खिलाफ दिल्ली मेट्रो रेल कामगार यूनियन के बैनर तले सैंकड़ों मेट्रो कर्मियों ने जन्तर-मन्तर पर प्रदर्शन किया और डी.एम.आर.सी. प्रशासन का पुतला भी फूंका।  मेट्रो प्रशासन और अनुबन्ध्ति ठेका कम्पनियों की मिलीभगत के कारण ही यहाँ श्रम-क़ानूनों का पालन नहीं किया जाता जिसके चलते मेट्रो कर्मियों के हालात बदतर हो रहे है। मेट्रो प्रबंध्न अगले महीने की पहली तारीख को कानूनों को ताक पर रखते हुए 250 मेट्रो मजदूरों को काम से निकाल रहा है। दिल्ली मेट्रो रेल प्रबंध्न की इस कार्रवाई का विरोध करते हुए दिल्ली मेट्रो रेल कामगार यूनियन की अगुवाई में मेट्रो मजदूरों ने डी.एम.आर.सी. प्रशासन का पूतला फूंकने के बाद एक ज्ञापन केन्द्रीय श्रम-मंत्री, क्षेत्रिय श्रमायुक्त व मेट्रो प्रबन्ध्क मंगू सिंह को सौंपा। मेट्रो को दिल्ली की शान कहा जाता है और यह सच भी है कि मेट्रो दिल्ली वासियों के लिए एक सुविधजनक परिवहन है। लेकिन इस मेट्रो में हाड़-तोड़ मेहनत करने वाले मजदूरों के लिए स्वयं मेट्रो प्रबंध्न का रवैया असुविधाजनक रहता है। मेट्रो के  सपफाई कर्मचारी हों, गार्ड, या टाम आपरेटर हों, सभी के कानूनी हकों का नंगा उल्लंघन होता है। मेट्रो रेल में टोकन देने काम कराने वाली ट्रिग कम्पनी का ठेका 1 जून, 2013 को डी.एम.आर.सी से समाप्त हो रहा है। ऐसे में आर.के. आश्रम से द्वारका मेट्रो स्टेशन तक टोकन देने का काम करने वाले 250 टाम आपरेटर को भी मेट्रो रेल प्रबंध्न काम से निकाल रहा है। जबकि मुख्य नियोक्ता होने के कारण डी.एम.आर.सी को इन मेट्रो कर्मचारियों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। दिल्ली मेट्रो रेल में सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन, ई.एस.आई., पी.एफ. आदि श्रम-कानूनों को भी लागू नहीं किया जा रहा है।
मेट्रो प्रबंध्क और अन्य मंत्रियों को सौंपे गये ज्ञापन में रखी गई प्रमुख मांगे है-
1. ठेका कम्पनी ट्रिग द्वारा निकाले गये सभी मजदूरों को काम पर वापस लिया जाये।
2. ठेका कम्पनी के टेण्डर समाप्त होने पर भी कार्यरत कर्मचारियों को बहाल किया जाये।
3. ठेका कानून (नियमिकरण और उन्मूलनद्) 1970 को लागू कर कर्मचारियों की स्थायी नियमित सुनिश्चित की जाये और सभी श्रम कानून को सख्ती से लागू किया जाये। 
मेट्रो मजदूर लम्बे समय से डीएमआरसी और ठेका कंपनियों की मिलीभगत के खिलाफ संघर्ष चला रहे हैं। इस संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए क़ानून का सहारा लेते हुए डीएमआरकेयू सभी मेट्रो मजदूरों की ओर से एक जनहित याचिका दायर कर रहा है जिसके तहत स्थाई प्रकृति के काम में ठेका मज़दूरों को रखना क़ानूनन गलत होगा। इस प्रदर्शन में दिशा छात्र संगठन की और से नुक्कड़ नाटक मशीन का मंचन किया गया। मजदूरों की ज़िन्दगी को हाल बयां करने और उसे बदलने के रास्ते को बताने वाला नाटक मेट्रो मजदूरों की ज़िन्दगी की भी कहानी बयां करता है। कई जन संगठन, यूनियन और मजदूर कार्यकर्ता भी इस प्रदर्शन में शामिल थे। प्रदर्शन के दौरान दिशा छात्र संगठन के सनी, नौजवान भारत सभा के योगेश और करावल नगर मजदूर यूनियन के नवीन ने भी बात रखी।

 




















Tuesday, 28 May 2013

दि‍ल्‍ली मेट्रो रेल से निकाले जा रहे मजदूरों का मेट्रो भवन पर चेतावनी प्रदर्शन।



नयी दिल्ली, 28 मई। दिल्ली मेट्रो भवन पर लागू धारा 144 को तोड़ मेट्रो मजदूरों ने अपने हक़ के लिए विरोध प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन दिल्ली मेट्रो रेल कामगार यूनियन की अगुवाई में दिल्ली मेट्रो  रेल प्रबंधन द्वारा अकारण  से 1  जून से 250 मजदूरों को बर्खास्त किये जाने के विरोध में किया गया। मजदूरों ने अपनी मांगो का   मेट्रो प्रबंधक को देने की कोशिश की लेकिन मेट्रो अधिकारियों ने ज्ञापन लेने से इनकार कर दिया। हालाँकि मजदूरों ने अपना ज्ञापन रजिस्ट्री डाक द्वारा मेट्रो प्रबंधक   मंगू सिंह को सौंपा। मजदूरों ने अपनी बात व्यापक आबादी तक पहुंचाई। इस विरोध प्रदर्शन को और अधिक व्यापक और जुझारू बनाने  के लिए मेट्रो प्रबंधन को अपनी बात  के लिए मजदूर आने वाली 30 मई को जंतर मंतर पर बड़ा प्रदर्शन करेंगे।
दिल्ली मेट्रो रेल कामगार यूनियन से सचिव अजय ने बताया की मेट्रो रेल में टोकन देने का काम करने वाली ट्रिग कंपनी का ठेका 1 जून, 2013 को डी एम आर सी को ख़त्म हो रहा है। ऐसे में आर. के. आश्रम से द्वारका स्टेशन तक टोकन देने का काम करने वाले 250 टॉम ओपेरटर को भी मैट्रो रेल प्रबंधन काम से निकाल रहा है। जबकि मुख्या नियोक्ता होने के कारन डीएमआरसी को इन मेट्रो कर्मचारियों की जिम्मेदारी लेनी चाहिए। अजय ने बताया कि दिल्ली मेट्रो रेल में सरकार द्वारा तय न्यूनतम वेतन , ई एस आई, पी एफ, आदि श्रम कानूनों को भी लागू नहीं किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मेट्रो मजदूर अपना ज्ञापन मंगू सिंह को देना चाहते थे पर दिल्ली मेट्रो प्रबंधन अधिकारियों ने इसे लेने से मन कर दिया जिस कारन हम आने वाली 30 तारीख को जंतर मंतर पर प्रदर्शन कर श्रम मंत्रालय और मेट्रो प्रबंधन को अपना ज्ञापन सौंपेंगे। इस ज्ञापन में राखी गयी प्रमुख मांगे है- ठेका कंपनी ट्रिग द्वारा निकाले गए सभी मजदूरों को काम पर वापस लिया जाए, ठेका कंपनी के टेंडर समाप्त होने पर भी कार्यरत कर्मचारियों को बहाल किया जाए, ठेका क़ानून (नियमिकरण और उन्मूलन) 1970 को लागू कर कर्मचारियों की स्थायी नियुक्ति सुनिश्चित की जाए और सभी श्रम क़ानूनों को सख्ती से लागू किया जाए।
डीएमआरकेयू के सदस्य व मेट्रो रेल में काम कर रहे प्रवीण ने कहा कि जब तक मेट्रो प्रबंधन मजदूरों की बात नहीं मानता है तब तक आर के आश्रम से द्वारका तक काम कर रहे टॉम ओपेरटर काम पर नहीं जायेंगे। इससे मेट्रो की सेवा प्रभावित होगी पर इसकी जिम्मेदार दिल्ली मेट्रो प्रबंधन है। उन्होंने आगे बताया कि दिल्ली की शान  कही जाने वाली मेट्रो जो दिल्ली वासियों के लिए सुविधाजनक परिवहन है  मेट्रो मजदूरों की हाड तोड़ मेहनत के दम ही चलती है परन्तु मजदूरों को ही मेट्रो प्रबंधन किसी भी किस्म की सुविधा नहीं देता है। आने वाली 30 तारीख को कईं यूनिअन व जन संगठन भी जंतर मंतर पर मेट्रो मजदूरों के प्रदर्शन में शामिल होंगे।