मेट्रो रेल सफाईकर्मी फिर अन्दोलन की राह पर ।
नई दिल्ली, 30 अगस्त दिल्ली मेट्रो रेल के दिलशाद गार्डन स्टेशन पर ए टू जेड ठेका कम्पनी के सफाईकर्मियों ने श्रम कानूनों के उल्लंघन के खिलापफ हड़ताल की। जिसका नेतृत्व दिल्ली मेट्रो कामगार यूनियन ने किया। इसमें दिलशाद गार्डन, मानसरोवर तथा झिलमिल मेट्रो स्टेशन के 60 सफाईकर्मी शामिल थे। मेट्रो सफाईकर्मियों का आरोप है कि ठेका कम्पनी तथा मेट्रो प्रशासन श्रम कानूनों को ताक पर रख कर मजदूरों का शोषण कर रहा हैं हड़ताली सफाईकर्मियों की मुख्य चार मांगे थी 1. न्यूनतम मजदूरी 247 रुपये 2. ईएसआई और पी.एपफ की सुविध मिले 3. साप्ताहिक छुट्टी 4. निकाले गए कर्मचारियों को वापस लिया जाए। ज्ञात हो कि 10 जुलाई को मेट्रो यूनियन ने इन्हीं मांगों को लेकर जन्तर-मन्तर पर प्रदर्शन किया था तथा अपना ज्ञापन मेट्रो प्रन्बधक ई.श्रीध्रन को सौंपा था। लगभग 2 महीने बाद भी मेट्रो प्रशासन ने कोई सुनवाई नहीं की हैं। जिससे परेशान होकर सफाईकर्मियों ने हड़ताल पर जाने का रास्ता अपनाया। सफाईकर्मी अखिलेश ने बताया कि देश में मंहगाई चरम पर है ऐसे में कर्मचारियों को अगर न्यूनतम वेतन भी न मिले तो क्या हम भूखे रहकर काम करते रहे। जीवन के हक की मांग करना क्या गैर कानूनी है? दिलशाद गार्डन के एक अन्य सफाईकर्मी गोपाल ने बताया कि उनको मेट्रो में काम करते हुए चार साल हो गये है लेकिन आज भी सपफाईकर्मी 4000 रुपये वेतन पर खट रहे है जो की न्यूनतम मजदूरी कानून 1948 का उल्लंघन हैंहड़ताल करीब सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक चली। इसके बाद मेट्रो भवन से आये मेट्रो रेल लेबर इंस्पेक्टर जे.सी झा तथा स्टेशन मैनेजर ने मजदूरों की मांग को सुनकर आश्वासन दिया है कि इन सभी मांगो को एक महीनें के अन्दर पूरा कर दिया जायेगा। इसके बाद लेबर इंस्पेक्टर जे. सी झा ने ए टू जेड कम्पनी के प्रोजेक्ट मैनेजर बालचन्द्ररन से भी बयान लिया कि मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी क्यो नहीं दी जा रही हैं इस पर बालचन्द्ररन ने कहा कि जब देश में कहीं पर न्यूनतम मजदूरी कानून लागू नहीं होता तो उनकी कम्पनी क्यों न्यूनतम मजदूरी कानून का पालन करें? इस बयान से सापफ है कि मेट्रो रेल में ठेका मजदूरो के कानूनी हको का खुले तौर पर उल्लंघन हो रहा हैं।
विदित रहे कि दिल्ली मेट्रो रेल में 10,000 ठेकाकर्मी कार्यरत हैं जिनके कानूनी हकों की लड़ाई यूनियन लम्बे से लड़ रही हैं और जिसमें यूनियन को अभी आशिंक जीत ही मिली हैं यूनियन ने टाम आपरेटर कम्पनी ट्रिग तथा बेदी एण्ड बेदी में न्यूनतम मजदूरी के अधिकार को लड़कर हासिल किया है। यूनियन के संयोजक अजय स्वामी ने बताया कि सफाईकर्मियों के ज्ञापन को मेट्रो भवन में दिया गया है तथा डीएमआरसी व ठेका कम्पनी को एक महीने में सभी मांगे पूरी करने का समय दिया है। अगर इन मांगों पर गौर नहीं किया जाता है तो यूनियन को पिफर से आन्दोलन तथा क्षेत्रीय श्रमायुक्त का रास्ता ही चुनना पड़ेगा।


भाई ये हड़ताल तीस जुलाई को हुई या 30 अगस्त को?
ReplyDeleteबेहद शर्म की बात है कि जो सरकार खुद न्यूनतम मजदूरी निर्धारित करती है वह अपने ही ठेकेदारों से मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी दिला नहीं पाती। ठेकेदार बड़े फख्र से कहता भी है कि जब देश भर में कहीं न्यूनतम मजदूरी लागू नहीं तो उसी पर क्यों कहर बरपाया जा रहा है। क्या ऐसी सरकारों को एक दिन भी बने रहने का हक है क्या। भ्रष्टाचार के विरुद्ध इतना बड़ा आंदोलन हुआ। लेकिन इस भ्रष्टाचार का वहाँ कोई उल्लेख नहीं था। यही उस आंदोलन की सब से बड़ी कमजोरी थी। भारत का ग्रामीण और नगरीय मजदूर इसीलिए वहाँ दिखाई भी नहीं दिया।
ReplyDeleteभारत की सब से बड़ी मानव शक्ति यदि है तो वह ग्रामीण और नगरीय मजदूर है और जब तक यह संगठित हो कर किसी संघर्ष में सम्मिलित नहीं होता वह संघर्ष अधूरा रहेगा। आंदोलन के लक्ष्य कभी प्राप्त नहीं किए जा सकते।
anna hazare and company is sabse bade corruption par kyo chup hai
ReplyDeletekyonki bakaul kiran bedi hame dmrc jaisa hi system cahiye
sharm karo so called civil sociaty ke alambardaro