आज दिल्ली के सभी क्षेत्रों में काम करने वाले ठेका मज़दूरों ने केजरीवाल सरकार से अपने हक़ों को हासिल करने और साथ ही 25 मार्च की घटना का विरोध करने के लिए जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया। 25 मार्च को दिल्ली के मज़दूर केजरीवाल सरकार को उसके वायदों की याद दिलाने के लिए दिल्ली सचिवालय पर पहुँचे थे। लेकिन केजरीवाल सरकार ने स्वयं आदेश देकर मज़दूरों पर पुलिस का बर्बर लाठीचार्ज करवाया। जिसके बाद पूरे देश के कई शहरों में मज़दूरों ने केजरीवाल के पुतले फूँके जैसे दिल्ली, मुंबई, पटना, लखनऊ, नरवाना, सूरतगढ़ आदि। दिल्ली के वज़ीरपुर जैसे औद्योगिक क्षेत्रों के मज़दूरों ने आम आदमी पार्टी और केजरीवाल का पूर्ण बहिष्कार कर दिया हैं। हेडगेवार हस्पताल के कर्मचारियों ने इसके खि़लाफ़ 3 दिनों तक हड़ताल की। इन सब चीज़ों ने केजरीवाल सरकार को दिखा दिया की मज़दूर लाठियों से नहीं डरते और इस तरह सरकार मज़दूरों को धोखा नहीं दे सकती। मज़दूरों के पुरज़ोर विरोध और संघर्ष के चलते केजरीवाल सरकार के श्रम मंत्री ने 24 अप्रैल को ठेका मज़दूरों की समस्याओं की जनसुनवाई रखने का एलान किया हैं। यह मज़दूरों की पहली जीत हैं मगर अभी भी श्रम मंत्री ने नियमित प्रकृति के काम से ठेका प्रथा उन्मूलन के बारे में कुछ नहीं कहाँ हैं। न्यूनतम मज़दूरी भी मज़दूरों को उसी सूरत में मिल सकती हैं जब नियमित प्रकृति के काम से ठेका प्रथा समाप्त की जाए। आज अपनी माँगों को सरकार तक पहुँचाने के लिए अलग अलग क्षेत्रों में काम करने वाले ठेका मज़दूरों ने दिल्ली मज़दूर यूनियन के बैनर तले जंतर मंतर पर प्रदर्शन किया और केजरीवाल का पुतला फूंका। साथ ही मज़दूरों ने केजरीवाल के खिलाफ़ 1031 पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर कार्रवाई करवाने की भी ठानी। प्रदर्शन में दिल्ली मेट्रो रेल कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन, दिल्ली गवर्नमेंट स्टेट हॉस्पिटल कॉन्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन, दिल्ली इस्पात उद्योग मज़दूर यूनियन, करावल मज़दूर यूनियन, नौजवान भारत सभा आदि संगठनों ने शिरकत की।
दिल्ली मेट्रो रेल कॉण्ट्रैक्ट वर्कर्स यूनियन का संघर्ष मेट्रो रेल में हो रहे मजदूरों के श्रम कानूनों के उल्लंघन के खिलाफ आवाज बुलन्द करना हैं


















