Wednesday, 23 May 2012

दिल्ली मेट्रो रेल के सफाई कर्मचारियों के कानूनी हक़ों को लागू करने की लड़ाई के लिए आगे आओ!
अब ना समय है! जूझना ही तय है!

दिल्ली मेट्रो रेल के हमारे मेहनतकश साथियो,
अभी हाल में मेट्रो रेल के 18 वर्ष पूरे होने पर मेट्रो भवन में जश्न मनाया गया जिसमें दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने डीएमआरसी प्रशासन की जमकर तारीपफ की और बताया कि ये देश का सबसे आदर्श और ईमानदार संस्थान है!लेकिन इस चमचमाती मेट्रो रेल में काम करने वाले हज़ारों मजदूरों ;सफाईकर्मी, गार्ड, टाम आपरेटर, निर्माण मजदूर के हालात की चर्चा की जाए तो साफ हो जाता है कि डीएमआरसी प्रशासन सिपर्फ ठेका कम्पनियों के लिए आदर्श और ईमानदार है! डीएमआरसी में काम करने वाले अधिकांश ठेका मज़दूरों को न्यूनतम मज़दूरी तक नहीं मिलती। इसके अलावा, ई.एस.आई., पी.एफ., आदि जैसे श्रम अधिकार से भी अधिकांश मज़दूर वंचित हैं। इस अन्याय के खि़लाफ मेट्रो मज़दूर व कर्मचारी भी शान्त नहीं हैं। पिछले दो वर्षों के दौरान टाॅम आॅपरेटरों व गार्डों ने ‘दिल्ली मेट्रो कामगार यूनियन’के नेतृत्व में न्यूनतम मज़दूरी और ई.एस.आई.-पी.एफ.के लिए एक लम्बी लड़ाई लड़ी जिसमें उन्हें विजय मिली। अब टाम आपरेटरों व गार्डों को न्यूनतम मज़दूरी मिल रही है। लेकिन मेट्रो में काम करने वाले सफाई कर्मचारियों को अभी तक न्यूनतम मज़दूरी, साप्ताहिक छुट्टी और ई.एस.आई.-पी.एफ. जैसे अधिकार हासिल नहीं हैं। पिछले वर्ष के संघर्ष ने साबित किया है कि अगर दिल्ली मेट्रो के मज़दूर अपनी यूनियन के नेतृत्व में संघर्ष करें तो उन्हें उनके हक़ हासिल हो सकते हैं। टाम आपरेटरों व गार्डों ने यह साबित कर दिया है। अब सफाई कर्मचारियों की बारी है।
साथियों, मेट्रो रेल में रोज़ाना करीब 17 लाख लोग यात्रा करते हैं। उसकी सापफ-सपफाई और सेवा का सबसे ज्यादा बोझ हम पर पड़ता है, चाहे वे टॅाम आॅपरेटर हों या सपफाईकर्मी। लेकिन उसके बाद भी हमें बुनियादी संवैधनिक श्रम अध्किार नहीं मिलते हैं। ऐसा नहीं है कि श्रम कानूनों का यह घोर उल्लंघन डी.एम.आर.सी. की गैर-जानकारी में हो रहा है। पिछले 3 वर्षों में डी.एम.के.यू. सदस्यों द्वारा श्रम कार्यालय में दर्ज मामलों से यह साबित हो चुका है कि डी.एम.आर.सी. को सब पता है। लेकिन पहली बार मेट्रो रेल के तीनों विभागों के ठेका मजदूरों ;टाम आपरेटर, सफाईकर्मी व गार्ड के एकजुट होने से डीएमआरसी और ठेका कम्पनियों को झुकना पड़ा और ट्रिग तथा बेदी एण्ड बेदी कम्पनी को न्यूनतम मजदूरी लागू करनी पड़ी। लेकिन अभी जीतने को बहुत कुछ है। हमारे कानूनी अधि‍कार अभी आधे भी पूरे नहीं हुए हैं। अभी भी कई ठेका कम्पनियाँ सफाईकर्मियों को 4000-4500 रुपये में खटा रही हैं। उनको न कोई साप्ताहिक अवकाश मिलता है, न ही पी.एफ., ई.एस.आई. की सुविध। इसलिए हमें नये सिरे से अपनी अधूरी लड़ाई को आगे बढ़ाना होगा। मेट्रो रेल में हो रहे श्रम कानूनों के उल्लंघन के खिलाफ लम्बे समय से ‘दिल्ली मेट्रो कामगार यूनियन’ संघर्ष चलाती रही है। पिछले वर्ष 10 जुलाई 2011 को यूनियन के आह्नान पर सैकड़ो मेट्रोकर्मियों ने जन्तर-मन्तर पर प्रदर्शन कर अपनी माँगों को मेट्रो प्रबंध्न से लेकर प्रधनमंत्री तक पहुँचाया। तमाम अखबारों से लेकर संसद में मेट्रो मजदूरों के श्रम अध्किारों के उल्लंघन की चर्चा हुई। इसके बाद मजबूर होकर डीएमआरसी और ठेका कम्पनियों को टाम आपरेटरों और गार्डों की न्यूनतम मज़दूरी लागू करनी पड़ी। यह यूनियन की एक बड़ी जीत थी।
साथियो, यही समय है यूनियन के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर लड़ने का। क्योंकि यूनियन ही हमारी ताकत है ‘यूनियन’शब्द का अर्थ ही होता है एकजुटता। बिना देर किये हुए आप सभी सफाईकर्मियों को, चाहे वे केशव, प्रहरी, आल सर्विस या एक्मे, जेएमडी या किसी भी ठेका कम्पनियों के हों, अपने हक़ों के लिए यूनियन के साथ आना चाहिए। डीएमआरसी तथा सभी ठेका कम्पनियाँ मिलकर हमारा शोषण करती हैं इसलिए हमें भी ठेका कम्पनियों के नाम पर बँटकर नहीं बल्कि एकजुट होकर ही अपने संघर्ष को आगे बढ़ाना हैं। हम इस नये संघर्ष की शुरुआत चार माँगों से कर रहे हैं
1. मेट्रो रेल में सभी मजदूरों को न्यूनतम वेतन कानून ;रु.270, रु.298, और रु.328 प्रतिदिन के हिसाब से भुगतान किया जाए।
2. साप्ताहिक छुट्टी दी जाये तथा डबल रेट ओवरटाइम का भुगतान किया जाए।
3. ई.एस.आई तथा पी.एपफ. की सुविध सुनिश्चित की जाए।
4. ठेका कानून 1971 के अनुसार स्थायी प्रकृति के काम में ठेका प्रथा खत्म की जाए।
साथियों, वैसे तो हमारी सभी माँगें देश के 260 श्रम कानूनों में दर्ज हैं। लेकिन हम अच्छी तरह जानते हैं कि कानूनी अधि‍कार पाने की लड़ाई इतनी आसान नहीं होती। कानून बनाने वालों और लागू करवाने वालों का पक्ष पैसे की ताकत के साथ होता है इसलिए ये कानूनी हक अध्किार भी मजदूर सिपर्फ अपनी एकता और यूनियन के बल पर हासिल कर सकते हैं। अगर हम एकजुट होकर लड़ेंगे तो हमें जीतने से कोई नहीं रोक सकता। यह दिल्ली मेट्रो कामगार यूनियन पहले भी साबित कर चुकी है और आगे भी साबित करेगी!
अंधकार का युग बीतेगा- जो लड़ेगा वो जीतेगा!!
डीएमकेयू जिन्दाबाद!!
दिल्ली मेट्रो कामगार यूनियन
सम्पर्क-अजय 9540436262, प्रवीन-9289457560